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Thursday, July 2, 2020

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे - phaagun ke din chaar holee khel mana re -- मीराबाई- Meera Bai #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥
बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥
सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे।
उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥
घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे।
मीराके प्रभु गिरधर नागर चरणकंवल बलिहार रे॥


शब्दार्थ :- अणहद= अन्तरात्मा का अनाहत शब्द। सुर = स्वर। सार =उत्तम। अम्बर =आकाश।

- मीराबाई- Meera Bai

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