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Saturday, June 6, 2020

मन माधवको नेकु निहारहि - Mana Madhavko Niku Nihari -- तुलसीदास- Tulsidas #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

मन माधवको नेकु निहारहि।
सुनु सथ, सदा रंककेधन ज्यों, छिन-छिन प्रभुहिं सँभारहि॥
सोभा-सील ग्यान-गुन-मंदिर, सुंदर, परम उदारहि।
रंजन संत,अखिल अघ गंजन, भंजन बिषय बिकारहि॥
जो बिनु जोग, जग्य, ब्रत, संयम गयो चहै भव पारहि।
तौ जनि तुलसीदास निसि बासर हरि-पद कमल बिसारहि॥

- तुलसीदास- Tulsidas
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