प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Tuesday, June 2, 2020

मैं अपने से डरती हूँ सखि ! - main apane se daratee hoon sakhi ! -- माखनलाल चतुर्वेदी - Makhan Lal Chaturvedi #www.poemgazalshayari.in

मैं अपने से डरती हूँ सखि !

पल पर पल चढ़ते जाते हैं,
पद-आहट बिन, रो! चुपचाप
बिना बुलाये आते हैं दिन,
मास, वरस ये अपने-आप;
लोग कहें चढ़ चली उमर में
पर मैं नित्य उतरती हूँ सखि !
मैं अपने से डरती हूँ सखि !

मैं बढ़ती हूँ? हाँ; हरि जानें
यह मेरा अपराध नहीं है,
उतर पड़ूँ यौवन के रथ से
ऐसी मेरी साध नहीं है;
लोग कहें आँखें भर आईं,
मैं नयनों से झरती हूँ सखि !
मैं अपने से डरती हूँ सखि !

किसके पंखों पर, भागी
जाती हैं मेरी नन्हीं साँसें ?
कौन छिपा जाता है मेरी
साँसों में अनगिनी उसाँसें ?
लोग कहें उन पर मरती है
मैं लख उन्हें उभरती हूँ सखि !
मैं अपने से डरती हूँ सखि  !

सूरज से बेदाग, चाँद से
रहे अछूती, मंगल-वेला,
खेला करे वही प्राणों में,
जो उस दिन प्राणों पर खेला,
लोग कहें उन आँखों डूबी,
मैं उन आँखों तरती हूँ सखि !
मैं अपने से डरती हूँ सखि !

जब से बने प्राण के बन्धन,
छूट गए गठ-बन्धन रानी,
लिखने के पहले बन बैठी,
मैं ही उनकी प्रथम कहानी,
लोग कहें आँखें बहती हैं;
उनके चरण भिगोने आयें,
जिस दिन शैल-शिखिरियाँ उनको
रजत मुकुट पहनाने आयें,
लोग कहें, मैं चढ़ न सकूँगी-
बोझीली; प्रण करती हूँ सखि !

मैं नर्मदा बनी उनके,
प्राणों पर नित्य लहरती हूँ सखि !
मैं अपने से डरती हूँ सखि !


-  माखनलाल चतुर्वेदी - Makhan Lal Chaturvedi
#www.poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

How to sell on OLX | OLX full tutorial | Online Sellings

 How to sell on OLX | OLX full tutorial  Key Content: Research your product Highlight the key features Be concise and specific Use keywords ...