प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Friday, June 5, 2020

केशव , कहि न जाइ का कहिये - keshav , kahi na jai ka kahiye -- तुलसीदास- Tulsidas #www.poemgazalshayari.in

केशव , कहि न जाइ का कहिये ।
देखत तव रचना विचित्र अति ,समुझि मनहिमन रहिये ।
शून्य भीति पर चित्र ,रंग नहि तनु बिनु लिखा चितेरे ।
धोये मिटे न मरै भीति, दुख पाइय इति तनु हेरे।
रविकर नीर बसै अति दारुन ,मकर रुप तेहि माहीं ।
बदन हीन सो ग्रसै चराचर ,पान करन जे जाहीं ।
कोउ कह सत्य ,झूठ कहे कोउ जुगल प्रबल कोउ मानै ।
तुलसीदास परिहरै तीनि भ्रम , सो आपुन पहिचानै ।

- तुलसीदास- Tulsidas
#www.poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...