पृथ्वी पर आकर -- prthvee par aakar -- - अनुराधा महापात्र - Anuradha Mahapatra #www.poemgazalshayari.in

पृथ्वी पर आकर
इतनी तो जीतें हुईं, इतनी हारें,
इतने राज्य बने
श्मशानों की इतनी सारी शान्ति-वार्ताएँ!
इतने जो साधक आए, इतने कवि, सूफ़ी, त्राता;
कुछ भी तो नहीं हुआ
कई योजन दूर सरक गए शुभ-नक्षत्र —
मनुष्य की आहट पाकर
डर के मारे पक्षी भी उड़ जाते हैं।
फूलों वाले हज़ारों पेड़ों पर
थम गया फूलों का खिलना, भँवरों का गुंजन
बादलों को अंजन कहकर पुकारने पर
देखती हूँ बादल भी आगबबूला हो उठते हैं।
बरबाद हो गया जो जीवन और
पक्षियों की ध्यान की नीरवता
यदि ध्वस्त हो जाएँ प्राण भी
तो फिर महाप्राण क्या होगा तथागत!


 - अनुराधा महापात्र - Anuradha Mahapatra
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