प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, March 14, 2020

हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह - hind mein to mazahabee haalat hai ab naagufta beh -अकबर "इलाहाबादी" - Akbar "Allahabadi" Poem Gazal Shayari




हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह
मौलवी की मौलवी से रूबकारी हो गई

एक डिनर में खा गया इतना कि तन से निकली जान
ख़िदमते-क़ौमी में बारे जाँनिसारी हो गई

अपने सैलाने-तबीयत पर जो की मैंने नज़र
आप ही अपनी मुझे बेएतबारी हो गई

नज्द में भी मग़रिबी तालीम जारी हो गई
लैला-ओ-मजनूँ में आख़िर फ़ौजदारी हो गई


नागुफ़्ता बेह= जिसका ना कहना ही बेहतर हो;
रूबकारी=जान-पहचान
जाँनिसारी= जान क़ुर्बान करना
सैलाने-तबीयत= तबीयत की आवारागर्दी
नज्द= अरब के एक जंगल का नाम जहाँ मजनू मारा-मारा फिरता था।

अकबर "इलाहाबादी" - Akbar "Allahabadi"

Poem Gazal Shayari

No comments:

Post a Comment

अपने नजदीकी डाकघर में आधार नामांकन और अपडेट के लिए आवेदन कैसे करें

 अपने नजदीकी डाकघर में आधार नामांकन और अपडेट के लिए आवेदन कैसे करें डाक विभाग (DoP) ने आधार नामांकन और अपडेट के लिए एक सेवा शुरू की है। भारत...