प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Tuesday, March 10, 2020

भोर की प्रथम किरण फीकी - bhor kee pratham kiran pheekee -sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" #Poem Gazal Shayari #Poem_Gazal_Shayari

भोर की प्रथम किरण फीकी।
अनजाने जागी हो याद किसी की-
अपनी मीठी नीकी।

धीरे-धीरे उदित
रवि का लाल-लाल गोला
चौंक कहीं पर
छिपा मुदित बनपाखी बोला
दिन है जय है यह बहुजन की।

प्रणति, लाल रवि, ओ जन-जीवन
लो यह मेरी
सकल भावना तन की, मन की-
वह बनपाखी जाने गरिमा
महिमा
मेरे छोटे चेतन छन की!


sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"

#Poem Gazal Shayari

#Poem_Gazal_Shayari

No comments:

Post a Comment

Free Remote control apps like anydesk | Freemium & Commercial Options

 List of Free Remote control apps like Anydesk RustDesk – A great open-source alternative to AnyDesk with self-hosting capabilities. UltraVN...