प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Monday, August 19, 2019

अगणित उन्मादों के क्षण हैं- aganit unmaadon ke kshan hain,- हरिवंशराय बच्चन - harivansharaay bachchan

अगणित उन्मादों के क्षण हैं, 
अगणित अवसादों के क्षण हैं, 
रजनी की सूनी घड़ियों को किन-किन से आबाद करूँ मैं! 
क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं! 

याद सुखों की आँसू लाती, 
दुख की, दिल भारी कर जाती, 
दोष किसे दूँ जब अपने से, अपने दिन बर्बाद करूँ मैं! 
क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं! 

दोनो करके पछताता हूँ, 
सोच नहीं, पर मैं पाता हूँ, 
सुधियों के बंधन से कैसे अपने को आबाद करूं मैं! 
क्या भूलूँ, क्या याद करूँ मैं!

- हरिवंशराय बच्चन - harivansharaay bachchan

No comments:

Post a Comment

अपने नजदीकी डाकघर में आधार नामांकन और अपडेट के लिए आवेदन कैसे करें

 अपने नजदीकी डाकघर में आधार नामांकन और अपडेट के लिए आवेदन कैसे करें डाक विभाग (DoP) ने आधार नामांकन और अपडेट के लिए एक सेवा शुरू की है। भारत...