कि अब जो तू बेवफा हुई तो उन सब बातों से कैसे पलट जाऊं - ki ab jo too bevapha huee to un sab baaton se kaise palat jaoon - – Vikas Ahlawat - विकास अहलवत
कि अब जो तू बेवफा हुई
तो उन सब बातों से कैसे पलट जाऊं
तुझे कभी जहां माना था
अपना खुदा जाना था
मैं तेरा ही तो दीवाना था
मैं प्यार व्यापार से अंजाना था
तुझसे शादी के ख्वाब सजा लिए
गली मोहल्ले में तेरे प्यार के ढोल बजा लिए
जितनी हो सकते थे चर्चे मोहब्बत के हर जगह फैला लिए
अब कैसे खुद से नजरें मिलाके
मैं खुद को ही गलत पाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं
कि तुझ बिन जिंदा नहीं रह सकता
मैं तेरे सिवा किसी और को मोहब्बत नहीं कह सकता
मैं तुझसे जुदाई पल भी नहीं सह सकता
मैं ताश का महल तेरे बिन कभी भी ढह सकता मन में सवाल इतने हैं कि
काश इन से जल्दी से सुलट पाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं
कि मैं तुझ से सच्ची मोहब्बत करता हूं
आज भी तुझको दिल-ओ-जान से मरता हूं
तू लौट के अब भी वापस आ जाए
यही दुआ भगवान से करता हूं
मैं तुझ में मशरूफ इतना हूं कि
कहां से किसी और के लिए मोहलत लाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं
तुझे आजाद करने का फैसला भी मेरा था
तुझे आजाद करने का फैसला भी मेरा था नुकसान सब मेरे थे मुनाफा सब तेरा था
दूर होगी तो खुश रहेगी
ये तूने ही तो बताया था
मैं तो सुन पड़ा था, बस तेरी हां में हां सर हिलाया था
सब छीन लिया मेरा
अब मांगने मंदिर में कौन सी दौलत जाऊं
अब जो तू बेवफा हूई
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं...
तो उन बातों से कैसे पलट जाऊं...।
– Vikas Ahlawat - विकास अहलवत
Comments
Post a Comment