प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Monday, July 15, 2019

दिन गए बीत शर्मीली हवाओं के - din gae beet sharmeelee havaon ke - Gopaldas "Neeraj" - गोपालदास "नीरज"

दिन गए बीत शर्मीली हवाओं के,
दूर तक दिखते नहीं जूड़ें घटाओं के

झाँकता खिड़की न कोई, हर किवाड़ा बंद,
पी गया सुनसान सारा रूप सब मरकन्द,
रह गए हैं हाथ बस कुछ ख़त गुनाहों के.
दूर तक दिखते नहीं जूड़ें घटाओं के.

सिर्फ रस ही रस बरसती थी जहाँ बरसात,
स्वर्ग से कुछ कम न रचती थी जहाँ हर रात,
है वहां अब मंच आसू की सभाओं का.
दूर तक दिखते नहीं जूड़ें घटाओं के.

आह सांवर बाहुओं की घाटिओं के पार,
जो बसा संसार वैसा कब बसा संसार,
कौन अब शीर्षक बताये उन कथाओं के?
दूर तक दिखते नहीं जूड़ें घटाओं के.

अब न वो मौसम, ओ सरगम, न वो संगीत,
फूल के कपडे पहनकर नाग करते प्रीत,
सौंप दूं किसको खिलौने भावनाओं के?
दूर तक दिखते नहीं जूड़ें घटाओं के.

रूठ मत मेरी उम्र, मत टूट मेरी आस.
ज़िंदगी विश्वास है, विश्वास बस विश्वास,
पोंछते आँसू बिलखती सरिकाओं के.
श्याम आयेंगे ज़रूरी गोपिकाओं के.

दिन गए बीत शर्मीली हवाओं के,
दूर तक दिखते नहीं जूड़ें घटाओं के

Gopaldas "Neeraj" - गोपालदास "नीरज"

No comments:

Post a Comment

UP Free Scooty Scheme 2025 कैसे करें यूपी फ्री स्कूटी के लिए आवेदन यहाँ देखें सम्पूर्ण जानकारी

 UP Free Scooty Scheme 2025 कैसे करें यूपी फ्री स्कूटी के लिए आवेदन यहाँ देखें सम्पूर्ण जानकारी उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की छात्राओं के ल...