र : बदरा हो बदरा छाए कि झूले पड़ गए हाय
कि मेले लग गए मच गई धूम रे
कि आया सावन हो झूम के
ल : बदरा हो बदरा छाए कि झूमे पर्वत हाय
रे कजरारी बदरिया को चूम रे
कि आया सावन हो झूम के कि आया सावन झूम के
काहे सामने सबके बालमवा तू छेड़े जालमवा
र: काहे फेंके नज़र की डोरी तू लुक-छुप के गोरी
ल : कजरा हो कजरा हाय रे बैरी बिखरा जाए रे
मेरा कजरा कि मच गई धूम रे
कि आया सावन झूम ...
र : जाने किसको किसकी याद आई के चली पुरवाई
ल : जाने किस बिरहन का मन तरसा के पानी बरसा
र : कंगना हो कंगना लाए कि घर लौट के आए
परदेसी बिदेसवा से घूम के
कि आया सावन ...
ल : तेरे सेहरे की हैं ये लड़ियाँ कि सावन की झड़ियाँ
र : ये हैं मस्त घटाओँ की टोली कि तेरी है डोली
ल : धड़का जाए धड़का जाए रे मेरा मनवा हाय
साजनवा कि मच गई धूम रे
को : कि आया सावन ....
- आनंद बख्शी- Anand Bakshi
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