देखत राम हंसे सुदामाकूं देखत राम हंसे॥
फाटी तो फूलडियां पांव उभाणे चरण घसे।
बालपणेका मिंत सुदामां अब क्यूं दूर बसे॥
कहा भावजने भेंट पठाई तांदुल तीन पसे।
कित गई प्रभु मोरी टूटी टपरिया हीरा मोती लाल कसे॥
कित गई प्रभु मोरी गउअन बछिया द्वारा बिच हसती फसे।
मीराके प्रभु हरि अबिनासी सरणे तोरे बसे॥
शब्दार्थ :- राम = यहां श्रीकृष्ण से आशय है। साथी =सखा। फूलडियां =ज्योतियां घिस्या =घिस गये। उभाड़ै = फूल गये। पठाई = भेजी। तान्दुल =चांवल। टपरिया = झोंपड़ी। हसती = हाथी।
- मीराबाई- Meera Bai
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