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Monday, June 22, 2020

वह कौन है, जो कब से मुझे तोड़ रहा है - vah kaun hai, jo kab se mujhe tod raha hai -- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

वह कौन है, जो कब से
मुझे तोड़ रहा है।

हर वक्त आसपास, यहीं बहुत पास है,
दैत्यों की तरह उसके बाजुओं में जान है,
सूरत में आदमी के, हक़ीक़त में कोई और,

मैं टूट रहा हूँ कि नहीं टूट पा रहा,
वो अपनी तरह से है मुझे आजमा रहा,
उसको लगे कि वक़्त का मैं मारा नहीं हूँ,

साबुत मेरा होना उसे गँवारा नहीं है,
गुस्ताख़ी मेरी टूटना नहीं, न तड़पना,
वो खौल रहा, तौल रहा तोड़-तोड़कर,

बेख़ौफ़ है मगर वो बहुत बदहवास है,
मैं हूँ कि नहीं हूँ, अजब कयास में है वो,
नाख़ून उसके तर मेरे लहू से, दाँत लाल,
ज़िन्दा मेरे रहने का उसे है बड़ा मलाल,
सब लहू पी रहा, मेरी उधेड़ रहा खाल,

मैंने कुतर दिए जो उसके सोने के कवच,
तब से हवस में और भी पगला उठा है वो,
किस बात से वो इतना ख़ौफ़ खाया हुआ है
शिद्दत से सिर्फ़ मेरी तबाही का तलबगार,
मुझको यक़ीन है, वो अपनी मौत मरेगा..

- जयप्रकाश त्रिपाठी- Jayprakash Tripathi

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