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Tuesday, June 30, 2020

तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी - tum sunau dayaal mhaaree arajee -- मीराबाई- Meera Bai #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

तुम सुणौ दयाल म्हारी अरजी॥
भवसागर में बही जात हौं, काढ़ो तो थारी मरजी।
इण संसार सगो नहिं कोई, सांचा सगा रघुबरजी॥
मात पिता औ कुटुम कबीलो सब मतलब के गरजी।
मीरा की प्रभु अरजी सुण लो चरण लगाओ थारी मरजी॥

शब्दार्थ :-म्हारी =मेरी। काढ़ो =निकाढ़ लो, निकाल ले। इण =यह। गरजी =स्वार्थी थारी =तुम्हारी।



- मीराबाई- Meera Bai

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