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Wednesday, June 17, 2020

सब कछु करत न कहु कछु कैसैं - sab kachhu karat na kahu kachhu kaisain -- रैदास- Raidas #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

सब कछु करत न कहु कछु कैसैं।
गुन बिधि बहुत रहत ससि जैसें।। टेक।।
द्रपन गगन अनींल अलेप जस, गंध जलध प्रतिब्यंबं देखि तस।।१।।
सब आरंभ अकांम अनेहा, विधि नषेध कीयौ अनकेहा।।२।।
इहि पद कहत सुनत नहीं आवै, कहै रैदास सुकृत को पावै।।३।।



- रैदास- Raidas

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