पिया मोहि दरसण दीजै हो - piya mohi darasan deejai ho -- मीराबाई- Meera Bai #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
पिया मोहि दरसण दीजै हो।
बेर बेर मैं टेरहूं, या किरपा कीजै हो॥
जेठ महीने जल बिना पंछी दुख होई हो।
मोर असाढ़ा कुरलहे घन चात्रा सोई हो॥
सावण में झड़ लागियो, सखि तीजां खेलै हो।
भादरवै नदियां वहै दूरी जिन मेलै हो॥
सीप स्वाति ही झलती आसोजां सोई हो।
देव काती में पूजहे मेरे तुम होई हो॥
मंगसर ठंड बहोती पड़ै मोहि बेगि सम्हालो हो।
पोस महीं पाला घणा,अबही तुम न्हालो हो॥
महा महीं बसंत पंचमी फागां सब गावै हो।
फागुण फागां खेलहैं बणराय जरावै हो।
चैत चित्त में ऊपजी दरसण तुम दीजै हो।
बैसाख बणराइ फूलवै कोमल कुरलीजै हो॥
काग उड़ावत दिन गया बूझूं पंडित जोसी हो।
मीरा बिरहण व्याकुली दरसण कद होसी हो॥
शब्दार्थ :- टेरहूं =पुकारती हूं। पंछी =पक्षियों को। असाढ़ा =आषाढ़ में। कुरलहे =करुण शब्द बोलते हैं। घन = बादल। चात्रा =चातक। तीजां =सावन सुदी तीज का त्यौहार। भादरवै = भादों में। दूरी जिन मेलै हो =अलग न हो। आसोजां =क्वार मास में भी। देव =भगवान विष्णु काति = कार्तिक मासमें। मंगसर =अगहन मास में। बहोती = बहुत अधिक। पोष महि =पूष मास में। सम्हालो =सुध लो, देख लो, देख जाओ। महा-महि =माघ मास में वणराइ =जंगल। फूलवै = फूलती जाती है। कुरलीजै =करुण बोल बोलती है. काग उड़ावत =कौआ उड़ा-उड़ाकर। सकुन -विचारती है कि प्रीतम कब आयेंगे। जोसी =ज्योतिषी। होसी =होगा।
- मीराबाई- Meera Bai
#www.poemgazalshayari.in
||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
Please Subscribe to our youtube channel
https://www.youtube.com/channel/UCdwBibOoeD8E-QbZQnlwpng
Comments
Post a Comment