प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Thursday, June 11, 2020

कबीर'दुबिधा दूरि करि,एक अंग ह्वै लागि - kabeer kee dubidha dooree, ek hissa hai - कबीर- Kabir #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

`कबीर'दुबिधा दूरि करि,एक अंग ह्वै लागि ।
यहु सीतल बहु तपति है, दोऊ कहिये आगि ॥1॥

भावार्थ - कबीर कहते हैं -- इस दुविधा को तू दूर कर दे - कभी इधर की बात करता है, कभी उधर की । एक ही का हो जा । यह अत्यन्त शीतल है और वह अत्यंत तप्त - आग दोनों ही हैं । [ दोनों ही `अति' को छोड़कर मध्य का मार्ग तू पकड़ ले ।]

दुखिया मूवा दुख कौं, सुखिया सुख कौं झुरि ।
सदा अनंदी राम के, जिनि सुख दुख मेल्हे दूरि ॥2॥

भावार्थ - दुखिया भी मर रहा है, और सुखिया भी एक तो अति अधिक दुःख के कारण, और दूसरा अति अधिक सुख से । किन्तु राम के जन सदा ही आनंद में रहते हैं , क्योंकि उन्होंने सुख और दुःख दोनों को दूर कर दिया है ।

काबा फिर कासी भया, राम भया रे रहीम ।
मोट चून मैदा भया ,बैठि कबीरा जीम ॥3॥


 कबीर- Kabir

#www.poemgazalshayari.in

||Poem|Gazal|Shayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...