ढम-ढम-ढम-ढम बजा नगाड़ा।
देखो आया चिल्ला जाड़ा।
थर-थर-थर-थर बाबा काँपें।
दादी बस अँगीठी तापें।
शीत लहर ने तंबू गाड़ा।
देखो आया चिल्ला जाड़ा।
कट-कट-कट-कट दाँत बज रहे।
स्वेटर-मफ़लर सभी सज रहे।
चालीस दिन इसका रजवाड़ा।
देखो आया चिल्ला जाड़ा।
- उषा यादव- Usha Yadav
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