आसमान की छत पर देखो, तारों की बरसात हो गई - aasamaan kee chhat par dekho, taaron kee barasaat ho gaee - - उषा यादव- Usha Yadav #www.poemgazalshayari.in ||Poem|Gazal|Shaayari|Hindi Kavita|Shayari|Love||
आसमान की छत पर देखो,
तारों की बरसात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई॥
चूँ-चूँ करती चिड़िया सोई,
दानों के सपनों में खोई।
ऊँघ रहे बरगद दादा भी,
पत्ता हिल न रहा है कोई।
कब तक टी.वी. देखोगे तुम,
यह तो गंदी बात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई॥
घड़ी देख लो, रक्खी आगे,
समय बहुत तेजी से भागे।
इतना छोटा बच्चा कोई,
क्या पड़ोस में अब तक जागे?
पर जो इसकी आदत डाले,
समझो उसकी मात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई॥
यही रीति यदि पड़ जाएगी,
नींद न जल्दी फिर आएगी।
उधर सुबह होते ही मम्मी,
बन अलार्म तुम जगाएगी।
बिगड़ा मूड, समझ लो दिन की
कूढ़न भारी शुरूआत हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई॥
आ पहुंचेगा रिक्शे वाला,
होगा फिर अच्छा घोटाला,
जब तक तुमने जूते ढूँढ़े,
खो जाएगा मोजा काला।
इसको पाया, उसको खोया,
यही रोज की बात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई॥
बस्ता लेकर तुम भागोगे,
सीढ़ी पर जब पहुँचे होगे।
अरे, टिफिन तों लिया नहीं है,
झुँझलाहट होगी, लौटोगे।
सोचो तो, गड़बड़झाले की,
यह पूरी बारात हो गई।
सो जाओ, अब रात हो गई॥
- उषा यादव- Usha Yadav
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