तुम्हारी तीसरी आंख की बरौनी टूटकर तुम्हारी तीसरी आंख के पानी में तैर रही है - tumhaaree teesaree aankh kee baraunee tootakar tumhaaree teesaree aankh ke paanee mein tair rahee hai - - गीत चतुर्वेदी - Geet Chaturvedi #poemgazalshayari.in
तुम्हारी तीसरी आंख की बरौनी टूटकर तुम्हारी तीसरी आंख के पानी में तैर रही है
स्याही से दीर्घजीवी होते हैं उकेरकर लिखे गए शब्द
आत्मा की भुजा पर बना गोदना तुम्हारा आकार है
पेड़ पर उगे पत्ते चिडिय़ा के गीत हैं
इन दिनों कोई चिडिय़ा तुम्हारे पेड़ पर नहीं बैठती
और मैंने भी तुम्हें ख़त लिखना बंद कर दिया है
तुमसे दूरी तुमसे मोह है
मोहित मैं प्रागैतिहास में रहता हूं
अकेला लेटा संकरी एक गुफा में उंगलियों से खुरचकर भित्तिचित्र बनाता हूं
पुरातत्व की शौक़ीन तुम अपनी लाइब्रेरी में जिस खुरच को सराहती हो
उसमें मेरे घिसे हुए नाख़ूनों का बुरादा भी है
लोकल ट्रेन की चौथी सीट की तरह अंड़सा हुआ हूं तुम्हारी स्मृति में
जो बीत गया वह भूत है मेरे सपनों में भूतों का डेरा है
कुछ देर के लिए किसी पुराण में चला जाऊं ले आऊं वह क्षुरप्र बाण जो
सौ चंद्रों वाली क्रूरता की ढाल और तुम्हारी उपेक्षा की तलवार
सबको एक वार में चीरकर रख दे
मैं भय का आराधक हूं
शक्ति भी भय देती है जो जितना शक्तिशाली वह उतना भयभीत है
मुझे चूमो नख से चूमो शिख तक चूमो आदि से चूमो अंत तक चूमो
मैं सादि हूं सांत हूं सो अनंत तक नहीं करनी होगी तुम्हें कोशिश
इसी देह में कहीं मेरे खुलने की कुंजी है
हर अंग चूमो हर कोई चूमो
एक सच्चा चुंबन पर्याप्त है मुझे खोल देने के लिए
पर ऐन सही जगह पर सच्चा चुंबन अत्यंत दुर्लभ घटना है
जीसस को चुभी कीलें टीस के पौधों के रूप में उगती हैं
रक्त की धार हरी लताओं की तरह
मुझ पर लिपटती ऊपर चढ़ती हैं
- गीत चतुर्वेदी - Geet Chaturvedi
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