मत छुओ इस झील को - mat chhuo is jheel ko -- Ramdhari Singh "Dinkar"- रामधारी सिंह "दिनकर" #poemgazalshayari.in

मत छुओ इस झील को।
कंकड़ी मारो नहीं,
पत्तियाँ डारो नहीं,
फूल मत बोरो।
और कागज की तरी इसमें नहीं छोड़ो।

खेल में तुमको पुलक-उन्मेष होता है,
लहर बनने में सलिल को क्लेश होता है।


- Ramdhari Singh "Dinkar"- रामधारी सिंह "दिनकर"
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