प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Saturday, May 30, 2020

अभी आता हूँ -- कहकर - abhee aata hoon -- kahakar - - उत्पल बैनर्जी - Utpal Banerjee #www.poemgazalshayari.in

अभी आता हूँ -- कहकर
हम निकल पड़ते हैं घर से
हालाँकि अपने लौटने के बारे में
किसी को ठीक-ठीक पता नहीं होता
लेकिन लौट सकेंगे की उम्मीद लिए
हम निकल ही पड़ते हैं,

अकसर लौटते हुए
अपने और अपनों के लौट आने का
होने लगता है विश्वास,
जैसे -- अभी आती हूँ कहकर
गई हुई नदी
जंगलों तलहटियों से होती हुई
फिर लौट आती है सावन में,

लेकिन इस तरह हमेशा कहाँ लौट पाते हैं सब!
आने का कहकर गए लोग
हर बार नहीं लौट पाते अपने घर
कितना आसान होता है उनके लिए
अभी आता हूँ -- कहकर
हमेशा के लिए चले जाना!

असल में
जाते समय -- अभी आता हूँ... कहना
उन्हें दिलासा देना होता है
जो हर पल इस कश्मकश में रहते हैं
कि शायद इस बार भी हम लौट आएँगे
कि शायद इस बार हम नहीं लौट पाएँगे


 - उत्पल बैनर्जी - Utpal Banerjee
#www.poemgazalshayari.in

No comments:

Post a Comment

How many Source for online earning : online Earning Money

How many Source for online earning : online Earning Money  Key Content: Freelancing Platforms Online Marketplaces Affiliate Marketing Conten...