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Sunday, April 12, 2020

पहले इक शख़्स मेरी ज़ात बना - pahale ik shakhs meree zaat bana -गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir #poemgazalshayari.in

पहले इक शख़्स मेरी ज़ात बना
और फिर पूरी काएनात बना

हुस्न ने ख़द कहा मुसव्विर से
पाँव पर मेरे कोई हाथ बना

प्यास की सल्तनत नहीं मिट्टी
लाख दजले बना फ़ुरात बना

ग़म का सूरज वो दे गया तुझ का
चाहे अब दिन बना की रात बना

शेर इक मश्ग़ला था ‘कासिर’ का
अब यही मक्सद-ए-हयात बना

गुलाम मोहम्मद क़ासिर - Ghulam Mohammad Kasir

#poemgazalshayari.in

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