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Friday, April 24, 2020

दस्तूर क्या ये शहरे-सितमगर के हो गए - dastoor kya ye shahare-sitamagar ke ho gae -- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi #poemgazalshayari.in

दस्तूर क्या ये शहरे-सितमगर के हो गए
जो सर उठा के निकले थे बे-सर के हो गए

ये शहर तो है आप का, आवाज़ किस की थी
देखा जो मुड़ के हमने तो पत्थर के हो गए

जब सर ढका तो पाँव खुले फिर ये सर खुला
टुकड़े इसी में पुरखों की चादर के हो गए

दिल में कोई सनम ही बचा, न ख़ुदा रहा
इस शहर पे ज़ुल्म भी लश्कर के हो गए

हम पे बहुत हँसे थे फ़रिश्ते सो देख लें
हम भी क़रीब गुम्बदे-बेदर के हो गए



- कैफ़ी आज़मी - Kaifi Azmi


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