कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा
भानमती ने कुनबा जोड़ा
कुनबे ने भानमती गढ़ी
रेशम से भाँड़ी, सोने से मढ़ी
कवि ने कथा गढ़ी, लोक ने बाँची
कहो-भर तो झूठ, जाँचो तो साँची
sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"
#Poem Gazal Shayari
No comments:
Post a Comment