झींगुरों की लोरियाँ
सुला गई थीं गाँव को,
झोंपड़े हिंडोलों-सी झुला रही हैं
धीमे-धीमे
उजली कपासी धूम-डोरियाँ।
sachchidanand hiranand vatsyayan "agay"- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"
#Poem Gazal Shayari
#Poem_Gazal_Shayari
Mouse के कितने प्रकार है? विस्तार में समझाइए? माउस कई प्रकार के हो सकते हैं, जो उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं और पसंदों के आधार पर भिन्न हो सकते...
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