जंगल जंगल बात चली है पता चला है - jangal jangal baat chalee hai pata chala hai - गुलजार - Gulzar - Poem Gazal Shayari
जंगल जंगल बात चली है पता चला है
जंगल जंगल बात चली है पता चला है
अरे चड्डी पहन के फूल खिला है फूल खिला है
जंगल जंगल पता चला है
चड्डी पहन के फूल खिला है
जंगल जंगल पता चला है
चड्डी पहन के फूल खिला है
एक परिंदा है शर्मिंदा था वो नंगा
इससे तो अंडे के अन्दर था वो चंगा
सोच रहा है बाहर आखिर क्यों निकला है
अरे चड्डी पहन के फूल खिला है फूल खिला है
जंगल जंगल पता चला है
चड्डी पहन के फूल खिला है
गुलजार - Gulzar
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