बस एक चुप-सी लगी है, नहीं उदास नहीं - bas ek chup-see lagee hai, nahin udaas nahin - गुलजार - Gulzar -Poem Gazal Shayari
बस एक चुप-सी लगी है, नहीं उदास नहीं
कहीं पे साँस रुकी है, नहीं उदास नहीं
कोई अनोखी नहीं ऐसी ज़िंदगी लेकिन
मिली जो, ख़ूब मिली है, नहीं उदास नहीं
सहर भी, रात भी, दोपहर भी मिली लेकिन
हमीं ने शाम चुनी है, नहीं उदास नहीं
बस एक चुप-सी लगी है, नहीं उदास नहीं
कहीं पे साँस रुकी है, नहीं उदास नहीं।
गुलजार - Gulzar
-Poem Gazal Shayari
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