प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, October 13, 2019

भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मगर से हम - bhadaka rahe hain aag lab-e-nagmagar se ham --साहिर लुधियानवी - saahir ludhiyaanavee

भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मगर से हम ।
ख़ामोश क्यों रहेंगे ज़माने के डर से हम ।

ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है,
क्यों देखें ज़िन्दगी को किसी की नज़र से हम ।

कुछ और बड़ गए अन्धेरे तो क्या हुआ,
मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर[1] से हम ।

देगा किसी मक़ाम पे ख़ुद राहज़न का साथ,
ऐसे भी बदगुमान न थे राहबर से हम ।

माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके
कुछ ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम ।

-साहिर लुधियानवी - saahir ludhiyaanavee

No comments:

Post a Comment

How to link aadhar and pancard online

How to link aadhar and pancard online   Linking Aadhaar and PAN has become a mandatory requirement for Indian citizens as per the government...