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Sunday, October 13, 2019

आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए नाशाद आया - aap aae to khayaal-e-dil-e naashaad aaya - -साहिर लुधियानवी - saahir ludhiyaanavee

आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए नाशाद आया

कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया


आप के लब पे कभी अपना भी नाम आया था

शोख नज़रों से मुहब्बत का सलाम आया था

उम्र भर साथ निभाने का पयाम आया था

आपको देख के वह अहद-ए-वफ़ा याद आया


रुह में जल उठे बजती हुई यादों के दिए

कैसे दीवाने थे हम आपको पाने के लिए

यूँ तो कुछ कम नहीं जो आपने एहसान किए

पर जो माँगे से न पाया वो सिला याद आया


आज वह बात नहीं फिर भी कोई बात तो है

मेरे हिस्से में यह हल्की-सी मुलाक़ात तो है

ग़ैर का हो के भी यह हुस्न मेरे साथ तो है

हाय ! किस वक़्त मुझे कब का गिला याद आया

-साहिर लुधियानवी - saahir ludhiyaanavee

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