प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Wednesday, September 4, 2019

वे मुस्काते फूल, नहीं - ve muskaate phool, nahin- - महादेवी वर्मा -mahadevi Verma

वे मुस्काते फूल, नहीं 
जिनको आता है मुर्झाना, 
वे तारों के दीप, नहीं 
जिनको भाता है बुझ जाना; 

वे नीलम के मेघ, नहीं 
जिनको है घुल जाने की चाह 
वह अनन्त रितुराज,नहीं 
जिसने देखी जाने की राह| 

वे सूने से नयन,नहीं 
जिनमें बनते आँसू मोती, 
वह प्राणों की सेज,नही 
जिसमें बेसुध पीड़ा सोती; 

ऐसा तेरा लोक, वेदना 
नहीं,नहीं जिसमें अवसाद, 
जलना जाना नहीं, नहीं 
जिसने जाना मिटने का स्वाद! 

क्या अमरों का लोक मिलेगा 
तेरी करुणा का उपहार? 
रहने दो हे देव! अरे 
यह मेरा मिटने का अधिकार!


- महादेवी वर्मा -mahadevi Verma

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...