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Tuesday, September 3, 2019

मेरा साथी शाम का तारा - mera saathee shaam ka taara - - नासिर काज़मी- Nasir Kazmi

दुख की लहर ने छेड़ा होगा
याद ने कंकड़ फेंका होगा 

आज तो मेरा दिल कहता है 
तू इस वक़्त अकेला होगा 

मेरे चूमे हुए हाथों से 
औरों को ख़त लिखता होगा 

भीग चलीं अब रात की पलकें 
तू अब थक कर सोया होगा 

रेल की गहरी सीटी सुन कर 
रात का जंगल गूँजा होगा 

शहर के ख़ाली स्टेशन पर 
कोई मुसाफ़िर उतरा होगा 

आँगन में फिर चिड़ियाँ बोलें 
तू अब सो कर उठा होगा 

यादों की जलती शबनम से 
फूल सा मुखड़ा धोया होगा 

मोती जैसी शक़्ल बनाकर 
आईने को तकता होगा 

शाम हुई अब तू भी शायद 
आपने घर को लौटा होगा 

नीली धुंधली ख़ामोशी में 
तारों की धुन सुनता होगा 

मेरा साथी शाम का तारा 
तुझ से आँख मिलाता होगा 

शाम के चलते हाथ ने तुझ को 
मेरा सलाम तो भेजा होगा 

प्यासी कुर्लाती कून्जूँ ने 
मेरा दुख तो सुनाया होगा 

मैं तो आज बहुत रोया हूँ 
तू भी शायद रोया होगा 

"नासिर" तेरा मीत पुराना 
तुझ को याद तो आता होगा

- नासिर काज़मी- Nasir Kazmi


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