प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Wednesday, August 28, 2019

उठ के कपड़े बदल - uth ke kapade badal- - निदा फ़ाज़ली - Nida Fazli

उठ के कपड़े बदल 
घर से बाहर निकल 
जो हुआ सो हुआ॥

जब तलक साँस है 
भूख है प्यास है 
ये ही इतिहास है
रख के कांधे पे हल 
खेत की ओर चल 
जो हुआ सो हुआ॥

खून से तर-ब-तर
कर के हर राहगुज़र 
थक चुके जानवर 
लकड़ियों की तरह 
फिर से चूल्हे में जल
जो हुआ सो हुआ॥

जो मरा क्यों मरा
जो जला क्यों जला
जो लुटा क्यों लुटा
मुद्दतों से हैं गुम 
इन सवालों के हल 
जो हुआ सो हुआ॥

मंदिरों में भजन 
मस्ज़िदों में अज़ाँ 
आदमी है कहाँ 
आदमी के लिए
एक ताज़ा ग़ज़ल
जो हुआ सो हुआ।।

- निदा फ़ाज़ली - Nida Fazli

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...