प्रिय पाठकों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Sunday, August 25, 2019

दीवार-ओ-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं - deevaar-o-dar se utar ke parachhaiyaan bolatee hain - - निदा फ़ाज़ली - Nida Fazli

दीवार-ओ-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं 
कोई नहीं बोलता जब तनहाइयाँ बोलती हैं

परदेस के रास्ते में लुटते कहाँ हैं मुसाफ़िर 
हर पेड़ कहता है क़िस्सा पुरवाईयाँ बोलती हैं

मौसम कहाँ मानता है तहज़ीब की बन्दिशों को 
जिस्मों से बाहर निकल के अंगड़ाइयाँ बोलती हैं

सुन ने की मोहलत मिले तो आवाज़ है पतझरों में 
उजड़ी हुई बस्तियों में आबादियाँ बोलती हैं

- निदा फ़ाज़ली - Nida Fazli

1 comment:

  1. ऊपर की दो पंक्तिया निदा फ़ाज़ली की नहीं बल्कि स्वाति शकुंत की है।

    ReplyDelete

How to link aadhar and pancard online

How to link aadhar and pancard online   Linking Aadhaar and PAN has become a mandatory requirement for Indian citizens as per the government...