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Friday, August 23, 2019

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये - apana gam leke kaheen aur na jaaya jaaye - - निदा फ़ाज़ली - Nida Fazli

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये 
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये 

जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं
उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये 

बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं 
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये 

ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में 
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये 

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें 
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये

- निदा फ़ाज़ली - Nida Fazli

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