तब मानव कवि बन जाता है - tab maanav kavi ban jaata hai - Gopaldas "Neeraj" - गोपालदास "नीरज"

तब मानव कवि बन जाता है!
जब उसको संसार रुलाता,
वह अपनों के समीप जाता,
पर जब वे भी ठुकरा देते
वह निज मन के सम्मुख आता,
पर उसकी दुर्बलता पर जब मन भी उसका मुस्काता है!
तब मानव कवि बन जाता है!

Gopaldas "Neeraj" - गोपालदास "नीरज"

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