धोका मुझे दिये पे हुआ आफ़ताब का - dhoka mujhe diye pe hua aafataab ka - Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ० राहत “इन्दौरी”
धोका मुझे दिये पे हुआ आफ़ताब का
ज़िक्रे-शराब में भी है नशा शराब का
जी चाहता है बस उसे पढ़ते ही जायें
चेहरा है या वर्क है खुदा की किताब का
सूरजमुखी के फूल से शायद पता चले
मुँह जाने किसने चूम लिया आफ़ताब का
मिट्टी तुझे सलाम की तेरे ही फ़ैज़ से
आँगन में लहलहाता है पौधा गुलाब का
उठो ऐ चाँद-तारों ऐ शब के सिपाहियों
आवाज दे रहा है लहू आफ़ताब का
Dr. Rahat “ Indauri” - डॉ० राहत “इन्दौरी”
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