इतनी रंग बिरंगी दुनिया(itani rang birangi duniya) - डॉ कुमार विश्वास (Dr. Kumar Vishwas)

इतनी रंग बिरंगी दुनिया
इतनी रंग बिरंगी दुनिया,
दो आखों में कैसे आये |
हमसे पूछो इतने अनुभव,
एक कंठ से कैसे गाये |

ऐसे  उजले लोग मिले जो,
अन्दर से बेहद काले थे |
ऐसे चतुर लोग मिले जो,
मन से भोले भाले थे |
ऐसे धनी लोग मिले जो,
कंगलो से भी जयादा रीते थे |
ऐसे मिले फकीर जो,
सोने के घट में पानी पीते थे |

मिले परायेपन से अपने,
अपनेपन से मिले पराये |
हमसे पूछो इतने अनुभव,
एक कंठ से कैसे गाये |

जिनको जगत विजेता समझा,  
मन के हारे धारे निकले |
जो हारे हारे लगते थे,
अन्दर से ध्रुव तारे निकले |
जिनको पतवारें सौपी थी,
वे भवरों के सूदखोर थे |
जिनको भावर समझ डरता था,
आखिर वही किनारे निकले |

वे मंजिल तक क्या पहुंचेंगे,
जिनको खुद रास्ता भटकाए |
हमसे पूछो इतने अनुभव,
एक कंठ से कैसे गाये |

-डॉ कुमार विश्वास

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