प्रिय दोस्तों! हमारा उद्देश्य आपके लिए किसी भी पाठ्य को सरलतम रूप देकर प्रस्तुत करना है, हम इसको बेहतर बनाने पर कार्य कर रहे है, हम आपके धैर्य की प्रशंसा करते है| मुक्त ज्ञानकोष, वेब स्रोतों और उन सभी पाठ्य पुस्तकों का मैं धन्यवाद देना चाहता हूँ, जहाँ से जानकारी प्राप्त कर इस लेख को लिखने में सहायता हुई है | धन्यवाद!

Monday, January 14, 2019

बासुरी चली आओ होंठ का निमंत्रण है (basuri chali aao honth ka nimantran hai) डॉ कुमार विश्वास (Dr. Kumar Vishwas

बासुरी चली आओ
तुम अगर नहीं आयी, गीत गा न पाउँगा,
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाउँगा,
तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है।
बाँसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है।

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है,
शाम की उदासी में याद संग खेला है,
कुछ गलत न कर बैठे मन बहुत अकेला है,
औषधि चली आओ, चोट का निमंत्रण है।
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।

तुम अलग हुई मुझसे साँस की खताओं से,
भूख की दलीलों से, वक्त की सज़ाओं से
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है,
कँचनी कसौटी को, खोट का निमंत्रण है।
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।

No comments:

Post a Comment

Describe the difference between a public network and a private network @PoemGazalShayari.in

 Describe the difference between a public network and a private network Topic Coverd: Private Network: Access Restriction Security Scalabili...