बासुरी चली आओ
तुम अगर नहीं आयी, गीत गा न पाउँगा,
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाउँगा,
तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है।
बाँसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है।
तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है,
शाम की उदासी में याद संग खेला है,
कुछ गलत न कर बैठे मन बहुत अकेला है,
औषधि चली आओ, चोट का निमंत्रण है।
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।
तुम अलग हुई मुझसे साँस की खताओं से,
भूख की दलीलों से, वक्त की सज़ाओं से
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है,
कँचनी कसौटी को, खोट का निमंत्रण है।
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाउँगा,
तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है।
बाँसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है।
तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है,
तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है,
शाम की उदासी में याद संग खेला है,
कुछ गलत न कर बैठे मन बहुत अकेला है,
औषधि चली आओ, चोट का निमंत्रण है।
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।
तुम अलग हुई मुझसे साँस की खताओं से,
भूख की दलीलों से, वक्त की सज़ाओं से
दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना है
आँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना है,
कँचनी कसौटी को, खोट का निमंत्रण है।
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है।
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