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Tuesday, December 29, 2020

सुभद्राकुमारी चौहान | Biography of Subhadra Kumari Chauhan

December 29, 2020 0 Comments

 सुभद्राकुमारी चौहान  | Biography of  Subhadra Kumari Chauhan




झाँसी की रानी जैसे कविता की लेखिका और कवयित्री श्रीमती सुभद्रा कुमारी चौहान जी  का जन्म नागपंचमी के दिन इलाहाबाद (प्रयागराज) के निहालपुर गांव में 16 अगस्त 1904 हुआ था |


 आपके पिताजी का नाम रामनाथ सिंह जो जमीदार थे, और आपके चार बहने और 2 भाई थे |

बचपन से ही आपको कविता और कहानी लिखने का सौक था,

आपकी सबसे पसंदीदा सहेली महादेवी वर्मा थी जो आपसे जूनियर थी|


1919 में आपका विवाह लक्ष्मण सिंह के साथ हुआ, आपकी पुत्री का नाम सुधा चौहान है |

1921  में श्री महात्मा गाँधी जी के आन्दोलन में पहली महिला के रूप में प्रस्तुत हुई |

15 फरवरी 1948 को एक सड़क हादसे में आपकी मृत्यु हो गयी, लेकिन आपकी रचनाये हमेशा अमर रहेंगी |

बिखरे मोती आपकी पहली कहानी संग्रह के रूप में प्रकाशित हुई, जो बहुत ही सरल भाषा में है, और इसमें पुरे 15 कहानिया है |

आप की दूसरी कहानी संग्रह उन्मादिनी में कुल 9 कहानिया है, आप अपने जीवन कल में पुरे 46 कहानियों की रचना की जो अपने आप में अद्वितीय और साहित्य जगत में बहुत लोकप्रिय है | 


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Monday, December 28, 2020

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय" का जीवन परिचय | Biography of Agyeya

December 28, 2020 0 Comments

सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'



हिंदी के अपने समय के विख्यात प्रसंसनीय कवी, कथाकार, निबंधकार, संपादक, अध्यापक के रूप में जाने, जानेवाले श्री सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन " अज्ञेय" जी का जन्म ७ मार्च १९११ को उत्तर प्रदेश में एक खुदाई सिविर में हुआ था |

आपका बचपन लखनऊ, कश्मीर, बिहार, और मद्रास में ज्यादा बीता |

आपने बी एस सी करने के बाद, इंग्लिश से एम् ए किया, एम् ए के दौरान ही आप क्रन्तिकारी आन्दोलन से जुड़ गए थे और बम बनाते हुए पकडे गए थे, उसके बाद आप वहा से फरार हो गए थे और बाद में आपको जेल में दल दिया गया |

आपको कविताओ या रचनावो के साथ साथ फोटो ग्राफी का भी सौक था, आपको संस्कृत , फारसी, इंग्लिश, और बंगला भाषा का अच्छा ज्ञान था |


आपकी पत्नी का नाम कपिला वात्स्यायन था|

भारत सरकार द्वारा आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया था, 

४ अप्रेल १९८७ को आप ने इस धरा से हमेशा के लिए अलविदा कह दिए|

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Friday, December 25, 2020

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | जीवन-परिचय | Suryakant Tripathi 'Nirala' Biography

December 25, 2020 0 Comments

 सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | जीवन-परिचय | Suryakant Tripathi 'Nirala' Biography



सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ का जन्म 1896 में वसंत पंचमी के दिन हुआ था ऐसा मन जाता है । आपके जन्म की तिथि को लेकर बहुत मतभेद है । 

 आपकी  कहानी संग्रह ‘लिली’ के अनुसार आपकी  जन्मतिथि 21 फरवरी 1899 प्रकाशित है।

आपकी माता जी आपको तीन वर्ष की उम्र में ही आपसे जुदा हो गयी, और आपके पिता  का नाम पंडित रामसहाय तिवारी जो सिपाही की नौकरी करते थे वो भी २० वर्ष होने से पहले ही इस धरा से विदा ले लिए ।

आपकी  शिक्षा हाई स्कूल तक हुई। तदुपरांत हिन्दी, संस्कृत तथा बांग्ला का अध्ययन आपने स्वयं किया। 

पहले महायुद्ध के महामारी के बाद आपकी पत्नी मनोरमा देवी  और परिवार के कई सदस्यओ देहांत हो गया| 


इलाहाबाद जो अभी प्रयागराज नाम  से जाना जाता है  आपका विशेष लगाव  लम्बे समय तक बना रहा। 

इसी शहर के दारागंज मुहल्ले में अपने एक मित्र, 'रायसाहब' के घर के पीछे बने एक कमरे में 15 अक्टूबर 1971 को आपने  विदा ली।  


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मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय | Biography of Mathilishran Gupt in Hindi

December 25, 2020 0 Comments

मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय  | Biography of Mathilishran Gupt in Hindi


राष्ट्रकवि मथिली शरण गुप्त का जन्म ३ अगस्त १९८६ को उत्तर प्रदेश, झाँसी के चिरगांव में हुआ था, 
आपके पिता का नाम सेठ रामचरण कनकने और माता का नाम काशी बाई था, और आप अपने माता पिता की तीसरी संतान थे, आप खड़ी बोली के श्रेष्ठतम कवी माने जाते है |
चाहने वाले आपको  " दद्दा " के नाम से पुकारते थे, बचपन में आपकी रूचि खेल कूद में ज्यादा होने के कारण आपकी पढाई अधूरी रह गयी, घर पर ही आपने हिंदी, बंगला और संस्कृत साहित्य का अध्ययन किया,

आपकी पहली रचना " सरस्वती " मासिक पत्रिका " रंग में भंग" और बाद में "जयंद्रथ वध" प्रकाशित हुई, उसके बाद "साकेत" रचकर आपने इतिहास बना डाला | 

प्रसिद्ध बंगाली काव्यग्रंथ " ब्रजांगना " का हिंदी रूपांतरण भी आपने ही क्या था | 
१९१२ और १९१३ में भारत भारती प्रकाशित होने के बाद आप का नाम जगत में बेसुमार हो गया | 
आपने छोटे भाई के मृत्यु के पश्चात आपको बेहद दुःख हुआ, जिससे 12 दिसम्बर १९६४ को हार्ट अटैक से आपकी मृत्यु हो गयी |
 

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Tuesday, December 22, 2020

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bhartendu Harishchandra Biography

December 22, 2020 0 Comments

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | Bhartendu Harishchandra Biography


आपका  जन्म काशी जिसे वाराणसी भी कहते है,  9 सितम्बर 1850 को हुआ। "गिरधरदास" उपनाम से कविता लिखने वाले गोपालचंद आपके पिता है, आपके पिता गोपालचंद भी एक अच्छे कवी के रूप में जाने जाते है, 

जब आप पांच साल के थे तो आपकी माता जी और दस वर्ष की अवस्था में आपके पिता जी की मृत्यु हो गयी । आपका बचचन बहुत संघर्षो से बीता |

आपने परिस्थितियों से लड़ कर क्वींस कॉलेज में दाखिला लिया, आपकी सोचने समझने और याद करने की शक्ति बहुत अच्छी थी, जिसके कारण हर परीक्षा में आप आगे बढ़ते चले गए, और साथ ही आपने कई भाषावो का अध्ययन भी किया जिसमें - अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी, बंगला, गुजराती, पंजाबी, उर्दू आदि सामिल है |


आपके बहुत ज्यादा साहित्यिक योगदान के कारण ही १८५७ से लेकर १९०० तक का काल भारतेंदु युग के नाम से जाना जाता है |  


मुख्य रचनाएँ:


आपने बहुत से नाटक की रचना की जो निम्नलिखित है : 

वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति १८७३ ई प्रहसन , सत्य हरिश्चंद १९७५ , श्री चन्द्रावली १८७६ , भारत दुर्दशा १८८० , नीलदेवी१८८१, अंधेर नगरी १८८१, प्रेम जोगिनी १८७५, 


अनुवाद : बाँग्ला से 'विद्यासुंदर' (नाटक), संस्कृत से 'मुद्राराक्षस' (नाटक), और प्राकृत से 'कपूरमंजरी' (नाटक), दुर्लभ बंधू १८८०- शेक्सपियर के "मर्चेंट ऑफ़ वेनिश"  का अनुवाद  


काव्‍य कृतियाँ: भक्‍त-सर्वस्‍व, प्रेम-मालिका, प्रेम-माधुरी, प्रेम-तरंग, उत्‍तरार्द्ध-भक्‍तमाल, प्रेम-प्रलाप, गीत-गोविंदानंद, दानलीला, संस्कृत लावनी, सुमनांजलि, होली, मधु-मुकुल, राग-संग्रह, वर्षा-विनोद, विनय प्रेम पचासा, फूलों का गुच्‍छा, प्रेम-फुलवारी, कृष्‍णचरित्र ऐसे बहुत से रचनाआओ की आपने रचना की | 


निधन: 6 जनवरी 1885 को वाराणसी या कशी में ही  आपका निधन हो गया। 


परिहासिनी

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की लघु हास्य-व्यंग्य से भरपूर - परिहासिनी आपकी रचना एक उल्लेखनीय रचनावो में से एक है ।


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Wednesday, December 16, 2020

सूरदास का जीवन-परिचय | Biography of Soordas | Soordas | Surdas | सूरदास

December 16, 2020 0 Comments

सूरदास का जीवन-परिचय | Biography of Soordas | Soordas | Surdas | सूरदास




महाकवि सूरदास जी का जन्म का कोई प्रमाणिक तथ्य नहीं है, लेकिन सूरदास जी का जन्म १४७८ ई० में मथुरा - आगरा मार्ग में स्थित रुनकता गाँव में माना जाता है,

लेकिन बहुत से विद्वानों में अभी भी मतभेद है जैसे रामचंद्र शुक्ल के अनुसार आपका जन्म संवत १५४० वि० और मृत्यु १६२० ई० के आसपास मन जाता है |

आप के पिताजी रामदास बैरागी जी खुद एक प्रसिद्ध गायक थे, और बचपन में आप गौघाट पर बैठ कर अपने पिता के गीत गुनगुनाते थे, बाद में आपके गुरू श्री बल्लभाचार्य के आदेश से अपने कृष्ण भक्ति के पद और गीत गाया|

आप जन्म से अंधे थे या नहीं इसमें भी कोई पुख्ता सबूत नहीं है, कुछ विद्वानों का कहना है कोई भी बिना रंग और स्वरुप देखे इतना अच्छा गीत और सृंगार गीत कैसे लिख सकता है |

सूरदास जी की मृत्यु १५८३ ई० में हुई थी |

आपकी प्रसिद्ध रचना जो हमने up बोर्ड पाठ्यक्रम में पढ़ा था, सूरसागर, साहित्य लहरी,  सूर की सारावली आदि रचनाये मणि जाती है |

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जिहि फन फुत्कार उड़त पहाड़ भार - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 जिहि फन फुत्कार उड़त पहाड़ भार,

           कूरम कठिन जनु कमल बिदगिलो.

विवजल ज्वालामुखी लवलीन होत जिन,

           झारन विकारी मद दिग्गज उगलिगो.

कीन्हो जिहि पण पयपान सो जहान कुल,

           कोलहू उछलि जलसिंधु खलभलिगो.

खग्ग खगराज महराज सिवराज जू को,

           अखिल भुजंग मुगलद्द्ल निगलिगो.


- भूषण - Bhushan

चकित चकत्ता चौंकि चौंकि उठै बार बार - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 चकित चकत्ता चौंकि चौंकि उठै बार बार,

           दिल्ली दहसति चितै चाहि करषति है.

बिलखि बदन बिलखत बिजैपुर पति,

           फिरत फिरंगिन की नारी फरकति है.

थर थर काँपत क़ुतुब साहि गोलकुंडा,

           हहरि हवस भूप भीर भरकति है.

राजा सिवराज के नगारन की धाक सुनि,

           केते बादसाहन की छाती धरकति है.


- भूषण - Bhushan

दारा की न दौर यह, रार नहीं खजुबे की - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 दारा की न दौर यह, रार नहीं खजुबे की,

              बाँधिबो नहीं है कैंधो मीर सहवाल को.

मठ विश्वनाथ को, न बास ग्राम गोकुल को,

              देवी को न देहरा, न मंदिर गोपाल को.

गाढ़े गढ़ लीन्हें अरु बैरी कतलाम कीन्हें,

              ठौर ठौर हासिल उगाहत हैं साल को.

बूड़ति है दिल्ली सो सँभारे क्यों न दिल्लीपति,

              धक्का आनि लाग्यौ सिवराज महाकाल को


- भूषण - Bhushan

सबन के ऊपर ही ठाढ़ो रहिबे के जोग - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 सबन के ऊपर ही ठाढ़ो रहिबे के जोग,

             ताहि खरो कियो जाय जारन के नियरे .

जानि गैर मिसिल गुसीले गुसा धारि उर,

             कीन्हों न सलाम, न बचन बोलर सियरे.

भूषण भनत महाबीर बलकन लाग्यौ,

             सारी पात साही के उड़ाय गए जियरे .

तमक तें लाल मुख सिवा को निरखि भयो,

             स्याम मुख नौरंग, सिपाह मुख पियरे.


- भूषण - Bhushan

दाढ़ी के रखैयन की दाढ़ी सी रहत छाती - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 दाढ़ी के रखैयन की दाढ़ी सी रहत छाती

            बाढ़ी मरजाद जसहद्द हिंदुवाने की

कढ़ी गईं रैयत के मन की कसक सब

            मिटि गईं ठसक तमाम तुकराने की

भूषण भनत दिल्लीपति दिल धक धक

            सुनि सुनि धाक सिवराज मरदाने की

मोटी भई चंडी,बिन चोटी के चबाये सीस

            खोटी भई अकल चकत्ता के घराने की


- भूषण - Bhushan

इंद्र निज हेरत फिरत गज इंद्र अरु - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 इंद्र निज हेरत फिरत गज इंद्र अरु,

इंद्र को अनुज हेरै दुगध नदीश कौं.

भूषण भनत सुर सरिता कौं हंस हेरै,

विधि हेरै हंस को चकोर रजनीश कौं.

साहि तनै सिवराज करनी करी है तैं,

जु होत है अच्मभो देव कोटियो तैंतीस को.

पावत न हेरे जस तेरे में हिराने निज,

गिरि कों गिरीस हेरैं गिरजा गिरीस को.


- भूषण - Bhushan

बाने फहराने घहराने घंटा गजन के - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 बाने फहराने घहराने घंटा गजन के,

नाहीं ठहराने राव राने देस-देस के.


नग भहराने ग्राम नगर पराने सुनि,

बाजत निशने सिवराज जू नरेस के.


हाथिन के हौदा उकसाने ,कुम्भ कुंजर के,

भौन को भजाने अलि छूटे लट केस के.


दल को दरारेन ते कमठ करारे फूटे,

कर के से पात बिहराने फन सेस के


- भूषण - Bhushan

साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धरि - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 साजि चतुरंग सैन अंग में उमंग धरि

सरजा सिवाजी जंग जीतन चलत है

भूषण भनत नाद बिहद नगारन के

नदी-नद मद गैबरन के रलत है

ऐल-फैल खैल-भैल खलक में गैल गैल

गजन की ठैल –पैल सैल उसलत है

तारा सो तरनि धूरि-धारा में लगत जिमि

थारा पर पारा पारावार यों हलत है


- भूषण - Bhushan

प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 प्रेतिनी पिसाच अरु निसाचर निशाचरहू,

मिलि मिलि आपुस में गावत बधाई हैं.


भैरो भूत-प्रेत भूरि भूधर भयंकर से,

जुत्थ जुत्थ जोगिनी जमात जुरि आई हैं.


किलकि किलकि के कुतूहल करति कलि,

डिम-डिम डमरू दिगम्बर बजाई हैं.


सिवा पूछें सिव सों समाज आजु कहाँ चली,

काहु पै सिवा नरेस भृकुटी चढ़ाई हैं.


- भूषण - Bhushan

ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में - ta din akhil khalabhalai khal khalak mein - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 ता दिन अखिल खलभलै खल खलक में,

जा दिन सिवाजी गाजी नेक करखत हैं.

सुनत नगारन अगार तजि अरिन की,

दागरन भाजत न बार परखत हैं.

छूटे बार बार छूटे बारन ते लाल ,

देखि भूषण सुकवि बरनत हरखत हैं .

क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुण्डन में,

करे घन उमरि अंगारे बरखत हैं .


- भूषण - Bhushan

तरो अवतार जम पोसन करन हार - taro avataar jam posan karan haar - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 तेरे हीं भुजान पर भूतल को भार,

कहिबे को सेसनाग दिननाग हिमाचल है.


तरो अवतार जम पोसन करन हार,

कछु करतार को न तो मधि अम्ल है.


सहित में सरजा समत्थ सिवराज कवि,

भूषण कहत जीवो तेरोई सफल है.


तेरो करबाल करै म्लेच्छन को काल बिनु,

काज होत काल बदनाम धरातल है.


- भूषण - Bhushan

गरुड़ को दावा जैसे नाग के समूह पर - garud ko daava jaise naag ke samooh par - भूषण - Bhushan

December 16, 2020 0 Comments

 गरुड़ को दावा जैसे नाग के समूह पर

दावा नाग जूह पर सिंह सिरताज को

दावा पूरहूत को पहारन के कूल पर

दावा सब पच्छिन के गोल पर बाज को

भूषण अखंड नव खंड महि मंडल में

रवि को दावा जैसे रवि किरन समाज पे

पूरब पछांह देश दच्छिन ते उत्तर लौं

जहाँ पातसाही तहाँ दावा सिवराज को


- भूषण - Bhushan

Tuesday, December 15, 2020

राखी हिन्दुवानी हिन्दुवान को तिलक राख्यौ - - भूषण - Bhushan

December 15, 2020 0 Comments

 राखी हिन्दुवानी हिन्दुवान को तिलक राख्यौ

अस्मृति पुरान राखे वेद धुन सुनी मैं

राखी रजपूती राजधानी राखी राजन की

धरा मे धरम राख्यौ ज्ञान गुन गुनी मैं

भूषन सुकवि जीति हद्द मरहट्टन की

देस देस कीरत बखानी सब सुनी मैं

साहि के सपूत सिवराज शमशीर तेरी

दिल्ली दल दाबि के दिवाल राखी दुनी मैं


- भूषण - Bhushan

ब्रह्म के आनन तें निकसे अत्यंत पुनीत तिहूँ पुर मानी - brahm ke aanan ten nikase atyant puneet tihoon pur maanee -- भूषण - Bhushan

December 15, 2020 0 Comments

 ब्रह्म के आनन तें निकसे अत्यंत पुनीत तिहूँ पुर मानी .

राम युधिष्ठिर के बरने बलमीकहु व्यास के अंग सोहानी.

भूषण यों कलि के कविराजन राजन के गुन गाय नसानी.

पुन्य चरित्र सिवा सरजे सर न्हाय पवित्र भई पुनि बानी .


- भूषण - Bhushan

इन्द्र जिमि जंभ पर, बाडब सुअंभ पर - indr jimi jambh par, baadab suambh par -- भूषण - Bhushan

December 15, 2020 0 Comments

 इन्द्र जिमि जंभ पर, बाडब सुअंभ पर,

रावन सदंभ पर, रघुकुल राज हैं।


पौन बारिबाह पर, संभु रतिनाह पर,

ज्यौं सहस्रबाह पर राम-द्विजराज हैं॥


दावा द्रुम दंड पर, चीता मृगझुंड पर,

'भूषन वितुंड पर, जैसे मृगराज हैं।


तेज तम अंस पर, कान्ह जिमि कंस पर,

त्यौं मलिच्छ बंस पर, सेर शिवराज हैं॥


ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहन वारी,

ऊंचे घोर मंदर के अंदर रहाती हैं।


कंद मूल भोग करैं, कंद मूल भोग करैं,

तीन बेर खातीं, ते वे तीन बेर खाती हैं॥


भूषन शिथिल अंग, भूषन शिथिल अंग,

बिजन डुलातीं ते वे बिजन डुलाती हैं।


'भूषन भनत सिवराज बीर तेरे त्रास,

नगन जडातीं ते वे नगन जडाती हैं॥


छूटत कमान और तीर गोली बानन के,

मुसकिल होति मुरचान की ओट मैं।


ताही समय सिवराज हुकुम कै हल्ला कियो,

दावा बांधि परा हल्ला बीर भट जोट मैं॥


'भूषन' भनत तेरी हिम्मति कहां लौं कहौं

किम्मति इहां लगि है जाकी भट झोट मैं।


ताव दै दै मूंछन, कंगूरन पै पांव दै दै,

अरि मुख घाव दै-दै, कूदि परैं कोट मैं॥


बेद राखे बिदित, पुरान राखे सारयुत,

रामनाम राख्यो अति रसना सुघर मैं।


हिंदुन की चोटी, रोटी राखी हैं सिपाहिन की,

कांधे मैं जनेऊ राख्यो, माला राखी गर मैं॥


मीडि राखे मुगल, मरोडि राखे पातसाह,

बैरी पीसि राखे, बरदान राख्यो कर मैं।


राजन की हद्द राखी, तेग-बल सिवराज,

देव राखे देवल, स्वधर्म राख्यो घर मैं॥


- भूषण - Bhushan

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